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जातीय जनगणना बिहार में हो सकता है तो छत्तीसगढ और देश मे क्यो नहीं ? : अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू

रायपुर।अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ से संबद्ध ओबीसी संयोजन समिति छत्तीसगढ़ द्वारा उठाए गए जातिगत जनगणना को बिहार सरकार के द्वारा सफलता पूर्वक...


रायपुर।अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ से संबद्ध ओबीसी संयोजन समिति छत्तीसगढ़ द्वारा उठाए गए जातिगत जनगणना को बिहार सरकार के द्वारा सफलता पूर्वक पूरा कर आज गांधी जयंती के अवसर पर उसे सर्वजनिक किया जिसका स्वागत करते हुए संघ के राष्ट्रीय महासचिव व ओ.बी.सी. संयोजन समिति छत्तीसगढ़ के संस्थापक अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार एवम केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब बिहार सरकार के द्वारा तमाम कानूनी अड़चनों के बावजूद भी जातीय जनगणना कर उनका रिपोर्ट प्रकाशित कर सकता है तो ओबीसी हितैषी होने का दंभ भरने वाले भूपेश बघेल व नरेंद्र मोदी सरकार को किन ताकतों ने जातीय जनगणना के लिए रोक रखा है ? और यदि ऐसा नहीं है तो ओबीसी की जातीय गणना से दूर क्यों भाग रहें है | उन्होने प्रदेश की भूपेश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार से छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में ओबीसी हित में जातीय गणना करवा कर सभी वर्गों को आबादी के अनुपात में समान हिस्सेदारी प्रदान करने का कानून पास कर गांधीजी की समाजिक न्याय की परिकल्पना को पूरा करने का निवेदन किया ।

विदित हो कि 02 अक्टूबर गांधी जयंती की अवसर पर बिहार सरकार द्वारा जातीय गणना का बुकलेट जारी की गई है जिसके  मुताबिक बिहार की आबादी 13 करोड़ से ज़्यादा है जिसमें  ओबीसी 63.13 प्रतिशत (पिछड़ा वर्ग  27.12 प्रतिशत + अत्यंत पिछड़ा वर्ग  36.01 प्रतिशत) है तो अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत  व अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत है वहीं अनारक्षित जाति 15.52 प्रतिशत है 

बता दें जातीय गणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था, जिसे  पटना हाईकोर्ट के दखल के बाद 4 मई को रोक दी गई, किंतु अगस्त में पटना हाईकोर्ट ने गणना के खिलाफ सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं जिसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना करवाया ताकि उनकी बेहतरी के लिए योजना बनाई जा सके।


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