Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

आवर्ती चराई योजना से आर्थिक समृद्धि की राह हुई प्रशस्त

  गोड़बहाल गौठान बना मॉडल आवर्ती चराई क्षेत्र रायपुर । छत्तीसगढ़ में कृषि की महत्ता को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप र...

 

गोड़बहाल गौठान बना मॉडल आवर्ती चराई क्षेत्र

रायपुर । छत्तीसगढ़ में कृषि की महत्ता को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप राज्य शासन द्वारा महत्वाकांक्षी नरवा, गरुवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना का आरंभ किया गया। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आवर्ती चराई क्षेत्र विकास व गौठान निर्माण कर पशुपालन में वृद्धि करना व पशुओं को चारागाह के माध्यम से चारा उपलब्ध कराना व साथ ही ग्रामीणों को रोजगारोन्मुखी कार्य उपलब्ध कराकर उन्हे सुदृढ़ बनाना है। इसी कड़ी में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग अंतर्गत सामान्य वनमंडल महासमुन्द के वन परिक्षेत्र पिथौरा अंतर्गत “आवर्ती चराई विकास कार्य“  हेतु 30 स्थल तथा “गौठान निर्माण कार्य“ हेतु 16 स्थलों को चयन कर कार्य सम्पादन किया गया है। आवर्ती चराई एवं गौठान गोड़बहाल को परिक्षेत्र में मॉडल के रूप में चयन किया गया। आवर्ती चराई विकास कार्य गोड़बहाल में चारागाह विकास कार्य हेतु 2 हेक्टेयर क्षेत्र का चयन कर चयनित क्षेत्र में सी.पी.टी, डब्ल्यू.ए.टी. व शोकपीट का निर्माण कराया गया। कार्य के तहत् क्षेत्र में पानी एकत्रीकरण हेतु पानी टंकी का निर्माण किया गया, पानी की व्यवस्था हेतु नलकूप खनन कराकर मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था की गई। गौठान क्षेत्र में वर्मी कम्पोस्ट पीट 10 नग, अंजोला टैंक 12 नग तथा 0.20 हेक्टेयर क्षेत्र में 3 स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा सब्जी भाजी का उत्पादन कर अपने आय में वृद्धि कर आर्थिक रूप से सशक्त व सुदृढ़ हो रहे है। 10 हेक्टेयर क्षेत्र में नेपियर घास का रोपण किया गया है। जिससे स्थानीय निवासियो द्वारा चक्रिय निधि मद के तहत ऋण लेकर 250 गायों के लिए उत्तम चारा उपलब्ध हो पा रहा है, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है। अंजोला टैंक से भी पशुओं के लिए चारा उपलब्ध हो रहा है। इस प्रकार पशुपालकों, ग्रामीण महिलाओं को जमीनी स्तर में लाभ मिल रहा है।  गांव के पशुपालक अपने मवेशियों को चराई केंद्र में लाते हैं, जिससे वे निश्चिंत होकर कृषि कार्यों में अपना समय का बेहतर सदुपयोग कर पाते हैं। स्व सहायता समूह की महिलाएं एकता और आत्मविश्वास से स्वावलंबन कि दिशा में बढ़ते हुए उन्नति की ओर अग्रसर हो रही हैं। साथ ही क्षेत्रीय ग्रामीणों को रोजगार के नए नये मौके मिलना शुरु हो गये हैं जिससे आर्थिक सशक्तीकरण भी सुनिश्चित हुआ है।

No comments