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ओडिशा के 26 ‘विश्वकर्मा गुरुओं’ को सम्मानित किया धर्मेंद्र प्रधान ने

  नयी दिल्ली । केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भुवनेश्वर में एक सम्मान समारोह में 18 परम्परागत हस्तश...

 

नयी दिल्ली । केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भुवनेश्वर में एक सम्मान समारोह में 18 परम्परागत हस्तशिल्प और पेशवर कार्यों में निपुण 26 ‘विश्वकर्मा गुरुओं’ को सम्मानित किया । श्री प्रधान ने इस अवसर पर कहा, “ओडिशा में प्रत्येक कारीगर और मूर्तिकार एक विश्वकर्मा है। उनकी रचना अद्वितीय है। हम जागरूकता पैदा करने और ऐसे और अधिक कारीगरों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं।” सरकार पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत विभिन्न हस्तकलाओं और परम्परागत व्यवसायों में दक्ष व्यक्तियों को प्रशिक्षक के रूप में “पीएम विश्वकर्मा गुरू” के रूप में सम्मानित करती है। मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार श्री प्रधान ने कल भुवनेश्वर में आयोजित 'सम्मान समारोह' के दौरान 26 विशेषज्ञ कारीगरों और शिल्पकारों को सम्मानित किया। 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के तहत 'विश्वकर्मा गुरु' जो आगे चलकर इस योजना के ब्रांड एंबेसडर के रूप में कार्य करेंगे और उन्हें अपने संबंधित ट्रेडों में मास्टर ट्रेनर और प्रशिक्षक बनने के अवसर भी प्रदान करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मछली के जाल बुनने, बाल बनाने-सैलून चलाने, सिलाई बुनाई चिनाई, बढ़ई गिरी, आभूषण बनाने, लोहे के कृषि उपकरण बनाने, प्राथमक श्रेणी मूर्तिकला, ऊन के परंपरागत खिलौने बनाने जैसी 18 तरह की विधाओं में 'पीएम विश्वकर्मा' योजना शुरू की, जिसमें 28 उप-विधाएं हैं । यह योजना कारीगरों और शिल्पकारों को शुरू से अंत तक सहायता प्रदान करने के लिए है। योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को ऋण सहायता के साथ आधुनिक उपकरणों और तकनीकों से लैस करना है। पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर अब तक 17 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। आवेदनों के मामेले में ओडिशा में शीर्ष पांच व्यवसाय हैं- मिस्त्री, दर्जी, बढ़ई, टोकरी निर्माता/बास्केट वेवर (चटाई निर्माता/कॉयर बुनकर/झाड़ू निर्माता) और कुम्हारगिरी शामिल हैं।  इस योजना के लिए वर्ष 2023-2024 से वर्ष 2027-28 पर 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रावधान है। इस योजना इस योजना में रेहन मुक्त उद्यम विकास ऋण सुविधा भी दी जाती है और इस पर ब्याज सब्सिडी के साथ मात्र पांच प्रतिशत की दर से रियायती ब्याज देना होता है।

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