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हिन्दुओं की शक्ति किसी को डराने के लिए नहीं, विश्व कल्याण के लिए : मिलिंद परांडे

  बैंकॉक । विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस को विश्व भर में हिन्दू शक्ति के जागरण का ...

 

बैंकॉक । विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस को विश्व भर में हिन्दू शक्ति के जागरण का प्रमाण बताते हुए कहा है कि हिन्दुओं की शक्ति किसी को भयभीत करने के लिए नहीं है बल्कि यह विश्व भर में मानवता के कल्याण के लिए है। श्री परांडे ने यहां वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के आयोजन को लेकर यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि तीन दिनों के दौरान यह साफ दिख रहा है कि विश्व भर का हिन्दू जागृत और संगठित हो रहा है। लेकिन यह भी समझा जाना चाहिए कि हिन्दुओं की यह शक्ति किसी को डराने या प्रभाव स्थापित करने के लिए लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण और मानवता के कल्याण के लिए है। श्री परांडे ने कहा कि 61 देशाें की प्रमुख हिन्दू शख़्सियतों ने अलग अलग विषयों पर संगठित हो कर सोचने और विश्व कल्याण की रूपरेखा बनाने के बारे में चर्चा की। सनातन का यश, ऐश्वर्य, वैभव कैसे बढ़े और इसके माध्यम से मानवता का कैसे कल्याण हो, इस उद्देश्य से यह हिन्दू चिंतन किया गया है। अलग अलग ढंग से कार्य करने वाले हिन्दू व्यक्ति और संगठन, एक हो कर संपूर्ण हिन्दू समाज के उत्थान के लिए समन्वित प्रयत्न किस प्रकार से करें, वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस इसी का मंच है। विहिप महामंत्री ने कहा कि यहां जिस वृद्धि, शक्ति, यश, विजय की बात की गयी है और उद्घाटन सत्र में भी जो कहा गया। उस बारे में वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारी शक्ति किसी के विरोध में या किसी को पराजित करने के लिए नहीं है। यह सबके कल्याण के लिए है। अत: हिन्दू शक्ति से किसी को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। लेकिन इसके साथ ही यह शक्ति इतनी बड़ी अवश्य होगी कि कोई हम पर टेड़ी नज़र नहीं डाल पाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी शक्ति ऐसी होगी कि विश्व में जो भी कमजोर होगा, वह अपनी रक्षा एवं कल्याण के लिए हमारे पास आएगा। उन्होंने कहा कि हमारा विचार ‘सक्षम का अस्तित्व रक्षण’ यानी (सरवाइवल ऑफ दि फिटेस्ट) का नहीं है क्योंकि यह जंगल या प्रकृति का नियम हो सकता है। लेकिन हमारा विचार ‘दुर्बल का अस्तित्व रक्षण’ यानी (सरवाइवल ऑफ दि वीकेस्ट) का है जो हमारी संस्कृति है। श्री परांडे ने कहा, “हम विकृति की दिशा में नहीं, संस्कृति और सद्कृति के मार्ग पर जा रहे हैं। वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस उसी का चिंतन और विज़न है।” तीसरी वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस यहां 24 से 26 नवंबर के दौरान आयोजित की गयी और विश्व के 61 देशों के करीब 2200 प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। सम्मेलन में अर्थव्यवस्था, शिक्षा, अकादमिक, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र तथा युवा और महिला सहित सात वर्गों पर फोकस के साथ करीब 50 सत्र समानांतर ढंग से आयोजित किये गये। राजनीतिक फोरम के विभिन्न सत्रों में भाग लेने के लिए करीब 30 देशों के 50 से अधिक प्रतिनिधि तथा हिन्दू इकाॅनोमिक फोरम के सत्रों में 650 से अधिक प्रतिनिधियों भाग लिया तथा स्टार्टअप्स के लिए निवेश परामर्श भी आयोजित किये गये जिनमें तीन प्रस्ताव तुरंत ही स्वीकृत हो गये। इकाॅनोमिक फोरम के सत्र में कृषि, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी के बारे में चर्चा हुई और मीडिया फोरम में डिजिटल मीडिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। राजनीतिक फोरम से जुड़े तमाम लोगों ने दुनिया भर में हिन्दू सांसदों एवं राजनीतिक नेताओं को लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने एवं एकजुट रह कर एक दूसरे के साथ निकट संपर्क में रहने तथा उनके देशों में राजनीतिक मजबूती के लिए एक दूसरे का सहयोग करने का भी आह्वान किया गया। राजनीतिक फोरम में खालिस्तानी आंदोलन, कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन और कुछ देशों में सैन्य तख्तापलट के मुद्दों पर भी चर्चा हुई है। शुक्रवार 24 नवंबर को उद्घाटन, 'धर्म की विजय' के उद्घोष के साथ प्रख्यात संत माता अमृतानंदमयी, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी पूर्णात्मानंद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री मिलिंद परांडे तथा वर्ल्ड हिन्दू फाउंडेशन के संस्थापक एवं सम्मेलन के सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद ने दीप प्रज्ज्वलन एवं शंखनाद करके किया। उद्घाटन सत्र में मेजबान देश के प्रधानमंत्री शित्ता थाविसिन को भाग लेना था लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं आ सके। थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने सभा को भेजे अपने संदेश में कहा कि थाईलैंड के लिए हिन्दू धर्म के सिंद्धांतों और मूल्यों पर आयोजित वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस की मेजबानी करना सम्मान की बात है। उनके देश में हिन्दू धर्म के सत्य और सहिष्णुता के सिद्धांतों का हमेशा से आदर रहा है। आशा है कि आज की इस उथल-पुथल भरी दुनिया सत्य, सहिष्णुता और सौहार्द्र के हिंदू जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेगी और विश्व में शांति स्थापित हो सकेगी। वर्ल्ड हिन्दू फाउंडेशन के संस्थापक और वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद के अनुसार कि इस आयोजन का मकसद दुनिया में हिन्दुओं का प्रभाव बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि आज के विश्व में हिन्दुओं को प्रतिष्ठा तब तक नहीं मिल सकती है जब तक अर्थव्यवस्था, शिक्षा, अकादमिक, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र में सामूहिक प्रभाव पैदा नहीं होता।उन्होंने कहा कि इस आयोजन से इन क्षेत्रों में विभिन्न देशों, स्थानों पर प्रभावी असर रखने वाले हिन्दू व्यक्तियों को इकट्ठा करके हिन्दू स्वभाव को निर्देशित किया जा रहा है और युवा पीढ़ी एवं महिला शक्ति को फोकस में रखा गया है।उन्होंने कहा कि वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस में दुनिया भर से आए हिंदू इन पहलुओं पर चर्चा करते हैं और आगे का अजेंडा तय करते हैं। विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि ये पांच पहलू किसी भी समाज को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के लोग व्यक्तिगत रूप से तो ये कर रहे थे लेकिन सामूहिक रूप से इन मूल मुद्दों पर फोकस नहीं था। पिछले करीब 10 वर्षों से इस पर फोकस किया गया है। वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस ने हिन्दुत्व को अंग्रेज़ी भाषा में 'हिन्दूइज़्म' कहे जाने के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि यह पूरी दुनिया के हिन्दू समुदाय और उनकी अच्छाई पर आघात है। प्रस्ताव में कहा गया है कि "इज़्म" शब्द को एक दमनकारी और भेदभावपूर्ण रवैये या विश्वास के रूप में परिभाषित किया गया है। "इज़्म" वाक्यांश का उपयोग कट्टरपंथी अपमानजनक तरीके से आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलनों को संदर्भित करने के लिए किया गया था। "हिन्दुइज्म" शब्द ऐसे संदर्भ में ईजाद किया गया है। हिन्दुत्व को अंग्रेज़ी भाषा में 'हिन्दूइज़्म' नहीं, बल्कि 'हिन्दूनेस' कहा जा सकता है।

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