रायपुर । छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में शहरी क्षेत्रों में कम मतदान ने चिंता बढ़ा दी है। विधानसभा में कम मतदान ने लोकसभा के लिए भी चुन...
रायपुर
। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में शहरी क्षेत्रों में कम मतदान ने चिंता
बढ़ा दी है। विधानसभा में कम मतदान ने लोकसभा के लिए भी चुनौती भी पैदा कर
दी है। इस चुनाव में प्रदेश में कई ऐसे बड़े शहर रहे, जहां पढ़े-लिखे,
नौकरीपेशा व निर्वाचन कार्यालय द्वारा चलाए जागरूकता अभियान ने भी निराश
किया, क्योंकि मतदान प्रतिशत में कमी दर्ज की गई है। राजधानी में रायपुर
उत्तर, रायपुर दक्षिण, रायपुर पश्चिम व रायपुर ग्रामीण चारों विधानसभा में
बीते वर्ष के मुकाबले कम मतदान दर्ज किया गया। इसी तरह बिलासपुर, भिलाई में
भी कम मतदान ने कई सवाल पैदा किए हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय
से जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में सबसे कम मतदान बड़े शहरों में हुआ
है। रायपुर ग्रामीण में 53 प्रतिशत, बिलासपुर में भी 56 फीसदी व
भिलाई-दुर्ग में 65 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके विपरीत ग्रामीण व अर्धशहरी
क्षेत्रों में ज्यादा मतदान ने राजनीतिक पार्टियों के लिए उम्मीदें जगाई
है। जहां कम मतदान हुआ है, वहां राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए
भी बड़ा सवाल है कि क्या वे मतदाताओं तक पहुंच बनाने में सफल हुए या और
कोई कारण है। शहरी क्षेत्रों में जिन पार्टियों की रैलियों में महिलाएं
सबसे ज्यादा नजर आती थीं, वहां भी महिला मतदाताओं ने निराश किया। रायपुर की
चारों सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या मतदान में पुरुषों से कम रही,
जबकि ग्रामीण व अर्धशहरी क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों से आगे रही। पहले
चरण के चुनाव में बस्तर व दुर्ग संभाग की 20 सीटों पर 78 प्रतिशत मतदान ने
इतिहास रचा था, लेकिन बाकी 70 सीटों पर बड़े शहर बस्तर व आदिवासी क्षेत्र
से मुकाबला नहीं कर पाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बड़े शहरों
में मतदान के घटते प्रतिशत से मजबूत लोकतंत्र की नींव नहीं रखी जा सकती है।
शहरी मतदाताओं के साथ ही निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों के लिए भी यह
चुनौती है कि लाखों रुपये जागरूकता अभियान में खर्च करने के बाद मतदाताओं
को बूथ तक लाने में नाकामयाब रहे।
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