देहरादून । हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा के लिए टिकट आवंटन के मामले में कांग्रेस 2019 और 2022 जैसी स्थिति में पहुंच गई है। इन दोनों सीटों पर न...
देहरादून । हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा के लिए टिकट आवंटन के मामले में कांग्रेस 2019 और 2022 जैसी स्थिति में पहुंच गई है। इन दोनों सीटों पर नामांकन के लिए सिर्फ तीन दिन ही उपलब्ध हैं, दूसरी तरफ पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा अब तक नहीं हो पाई है। कांग्रेस गढ़वाल, टिहरी और अल्मोड़ा के लिए प्रत्याशियों की घोषणा 12 मार्च को ही कर चुकी है। इसके बाद हरिद्वार और नैनीताल पर इस बीच कई दौर की बैठक होने के बावजूद भी फैसला नहीं हो पाया है, ठीक चुनावी माहौल में कांग्रेस के प्रमुख नेता सोमवार से बुधवार तक इस कारण दिल्ली में जमे रहे। लेकिन टिकटों की गुत्थी अब भी नहीं सुलझ पाई है। सूत्रों के अनुसार टिकट आवंटन में देरी हरिद्वार सीट पर फैसला न होने के कारण हो रही है। जहां पूर्व सीएम हरीश रावत अपने पुत्र वीरेंद्र रावत के लिए टिकट की पैरवी कर रहे हैं। पार्टी नेताओं के मुताबिक शेष टिकटों का फैसला अब राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल के स्तर से ही होने की उम्मीद है। इस बीच टिकट का मामला लंबा खिंचने पर पार्टी नेता नुकसान की भी आशंका जता रहे हैं। पार्टी नेताओं के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नामांकन की समय सीमा समाप्त होने से एक दिन पहले ही टिकटों की घोषणा होने से प्रत्याशियों को प्रचार के लिए मौका नहीं मिल पाया था। इसी तरह 2022 के विधानसभा चुनावों में भी टिकटों पर आम सहमति नहीं बनने के कारण प्रदेश के दिग्गज नेताओं को दस दिन तक दिल्ली में डेरा डालना पड़ा था। यह स्थिति इस बार भी पैदा हो गई है। देर शाम कांग्रेस ने कई राज्यों के लिए 57 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है। लेकिन इसमें भी उत्तराखंड से हरिद्वार और नैनीताल सीट के प्रत्याशियों के नाम शामिल नहीं है इस कारण कांग्रेस प्रत्याशी घोषणा में अभी और समय लगने की संभावना जताई जा रही है।
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