देहरादून । उत्तराखंड में उपद्रव फैलाने वालों पर शिकंजा कसने की दिशा में राज्य सरकार ने सोमवार को एक बड़ा कदम उठाया। दंगा और अशांति फैलाने...
देहरादून । उत्तराखंड में उपद्रव फैलाने वालों पर शिकंजा कसने की दिशा में राज्य सरकार ने सोमवार को एक बड़ा कदम उठाया। दंगा और अशांति फैलाने के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली अब नुकसान पहुंचाने वालों से की जाएगी। इसके लिए एक क्लेम ट्रिब्यूनल का भी गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई बैठक में मंत्रिमंडल ने इससे संबंधित कानून बनाने पर अपनी मुहर लगा दी। हड़ताल, बंद, उपद्रव फैलाने अथवा विरोध, प्रदर्शन आदि के दौरान, प्रदर्शनकारी सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सरकारी और निजी संपत्तियों को भी नुकसान होता है। इसकी क्षतिपूर्ति के लिए अब तक उत्तराखण्ड में कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी। दंगे करने और अशांति फैलाने वालों पर उत्तराखण्ड सरकार अब सख्ती से पेश आएगी। राज्य मंत्रिमंडल (कैबिनेट)की आज हुई बैठक में इसे लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इसके तहत सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने पर मुकदमा दर्ज होने की स्थिति में सर्किल ऑफिसर अपनी रिपोर्ट संबंधित जिलाधिकारी को प्रेषित करेंगे। जिलाधिकारी द्वारा गठित क्लेम ट्रिब्यूनल, कोर्ट कमिश्नर के माध्यम से नुकसान का आंकलन करेगा। जिसके बाद इस कानून के अंतर्गत संबंधित व्यक्ति से वसूली की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस फैसले के बाद कहा,"दंगों और अशांति फैलाने के मामलों में सख्ती से रोक लगाने के उद्देश्य से आज कैबिनेट बैठक के दौरान एक विशेष ट्रिब्यूनल के गठन को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। दंगों के दौरान होने वाले सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की क्षतिपूर्ति दंगाइयों से ही की जाएगी। प्रदेश की शांति व्यवस्था बिगाड़ने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और एक ऐसी नजीर बनाएंगे जिससे देवभूमि की पवित्र भूमि को कलंकित करने वाले दंगाइयों की पीढियां भी वर्षों तक याद रखेंगी।"
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