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लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी पर केंद्रित चुनावी नारों ने मतदाताओं को बेहद प्रभावित किया

  बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद अब तक हुए लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी पर केंद्रित चुनावी ...

 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद अब तक हुए लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी पर केंद्रित चुनावी नारों ने मतदाताओं को बेहद प्रभावित किया है। वर्ष 2004 से लेकर 2024 तक हुए लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी से संबंधित नारों की बहार रही है। यह लोगों को भाजपा के साथ कनेक्ट करने में मददगार साबित हुआ है। एक प्रभावी नारा, जो हर लोकसभा चुनाव में गूंजता है वह है, ‘नजर अटल पर, वोट कमल पर ‘। यह 2004 के लोकसभा चुनाव में आया था। चुनावी नारे हो या स्लोगन, इसे कुछ इस अंदाज में मतदाताओं के सामने परोसा जाता है, जिसे पढ़कर लोग सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। नारों को पढ़ने के बाद लोगों के मन में संबंधित नेता की छवि सीधे उतरने लगती है। उनके द्वारा किए गए काम हो या फिर किए गए वादे...। सब-कुछ आंखों के सामने चलचित्र की भांति दिखने लगते है। यह छवि इतनी असरदार होती है कि संबंधित पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए सोचने पर मजबूर कर देती है। या ऐसा भी कह सकते हैं कि प्रभावी नारों की वजह से मतदाता उम्मीदवार के पक्ष में वोट के रूप में अपना समर्थन दे देते हैं। छत्‍तीसगढ़ गठन के बाद लोकसभा के पांच चुनाव हुए हैं। इन सभी चुनावों में भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी को अपने केंद्र में रखा है। अटलजी से संबंधित नारों की लोकसभा चुनाव में गूंज होते रही है। राज्य निर्माता के रूप में हो या फिर छत्तीसगढ़ राज्य गठन के लिए उनके द्वारा किए गए ईमानदार वायदे। एक नारे के दम पर छत्तीसगढ़वासियों को सब-कुछ याद आ जाता है। नजर अटल पर, वोट कमल पर, 1996 में अब की बारी अटलबिहारी, 2023 के विधानसभा चुनाव में अब नहीं सहिबो बदल के रहिबो, हमने बनाया है हम ही संवारेंगे। 1999 के चुनाव में प्रचलित नारा था- अटल बिहारी जरूरी है, ताराचंद मजबूरी है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को केंद्र में रखकर वर्ष 1980 में बिलासपुर के कवि श्रीकांत वर्मा ने जात पर न पात पर, इंदिराजी की बात पर, मुहर लगाना हाथ पर, नारा दिया था। इस नारे ने जमकर कमाल किया था। लोगों की जुबान पर भी चढ़ा और इसका प्रभावी असर भी देखने को मिला था। तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की सत्ता पर कांग्रेस काबिज थी। वापसी के लिए भाजपा ने एक बार फिर अटलजी को याद किया। प्रभावी नारे लाए। ‘हमने बनाया है हम ही संवारेंगे’, ‘अब नई सहिबो बदल के रहिबो’। इन दो नारों ने जमकर काम किया। अटलजी द्वारा बनाए छत्तीसगढ़ राज्य की याद दिला दी। गड़बड़ी व घोटाले के बाद सुशासन का यह नारा लोगों को प्रभावित किया। इन दो प्रभावी नारों के बीच मोदी की गारंटी ने जो काम किया वह जगजाहिर है। राज्य की सत्ता पर भाजपा की दमदार तरीके से वापसी हुई।

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