महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के कई मंदिरों में दिन के उजाले में भालुओं के पहुंचने की बात सामान्य सी हो गई है। देवी दर्शन करने पहु...
महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के कई मंदिरों में दिन के उजाले
में भालुओं के पहुंचने की बात सामान्य सी हो गई है। देवी दर्शन करने पहुंचे
श्रद्धालु इन्हें खाने-पीने का सामान देते हैं। ये वन्य प्राणी इसे ग्रहण
करते हैं। संभवतः लोगों से मिले खानपान के लोभवश ये प्राणी हर दिन मंदिर
पहुंचते हैं। वन्य प्राणियों से श्रद्धालु हर्षित उत्साहित रोमांचित होते
हैं। किंतु वन्य प्राणियों के कारण कुछ ऐसा माहौल भी बनता है कि कई बार लोग
सहम जाते हैं। कुछ ऐसा ही वाकया जिले के ओडिशा सीमा से लगे बाम्हनडीह
(पटपरपाली ल) स्थित पाटमेश्वरी देवी मंदिर का है। जहां दिन में नहीं बिल्क
यहां रात के अंधेरे में भालू का दल हर दिन पहुंचता है। यहां पर मौजूद
पंडित, बैगा और पहरेदार जालीदार खिड़की, दरवाजे से इनका दर्शन करते हैं।
बीते दिन यहां पहुंचे भालू एक-दूसरे से लड़ने लगे। एक-दूसरे को दौड़ाने लगे।
यह देख जालीदार दरवाजे के भीतर पंडित और बैगा सहमे रहे। बताया गया कि यहां
तीन भालू एक साथ पहुंचे। पहले तो अपने खाने की चीजें इधर-उधर ढूंढे। इसके
बाद तोड़-फोड़ शुरू कर दिए। तेल टिन को तोड़ने का प्रयास और उसमें से तेल पीने
की कोशिश की। जब कुछ नहीं कर पाए तो मंदिर के मेन गेट में पहुंच गए। जहां
पर पंडित बैगा और पहरेदार लोहे के दरवाजे के भीतर थे। तीनों भालू एक-दूसरे
से झगड़ने लगे। भालू का दल दरवाजे के भीतर घुसने का प्रयास करने लगे। यह देख
वहां मौजूद लोग डर से कांपने लगे। हालांकि भालू गेट के भीतर प्रवेश नहीं
कर पाए। अन्य लोगों ने स्थिति देखकर भालुओं को प्रसाद, आलू आदि दिया, जिससे
वे शांत हुए। इन दिनों भालू की पहली पसंद तेल है, जिसे वे चांव से पीते
हैं। बागबाहरा ब्लाक के ग्राम बकमा क्षेत्र में घर के रसोई कक्ष में घुसकर
तेल पीने की कई घटना हो चुकी है। ये तेल का सुगंध दूर से पा जाते हैं। इसी
कारण मंदिरों में ज्यादा पहुंचते हैं। मंदिरों में अभी तेल से ज्योत
प्रज्वलित की गई है। कई जगह तो दिन में भालु का दल पहुंचता है। शुरुआत में
भालू घुंचापाली चंडी मंदिर पहुंचते थे। यहां आज भी भालू पहुंचते हैं।
भालुओं से मंदिर की प्रसिद्धि देश-विदेश तक फैली हुई है। किंतु अब भालू दल
मूंगई माता, पतईमाता, सोनई रुपई मंदिर, पाटमेश्वरी देवी मंदिर ब्राह्मणडीह
भी पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु इन्हें आस्था से सत्कार कर रहे हैं। भालू
विचरण स्थल पर वन विभाग सुरक्षा घेरा लगाकर रखा है। साथ ही लोगों को भालुओं
से दूरी बनाकर रखने की अपील भी की जाती है।
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