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उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतने का श्रेय योगी लेना चाहते है

  नई दिल्ली। यूपी भाजपा में मतभेद की खबरें रह-रहकर आती रहती हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कभी संगठन सरकार से बड़ा है, जैसी बात करते ह...

 

नई दिल्ली। यूपी भाजपा में मतभेद की खबरें रह-रहकर आती रहती हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कभी संगठन सरकार से बड़ा है, जैसी बात करते हैं तो वहीं कभी मीटिंग से ही नदारद रहते हैं। इसके अलावा लखनऊ से लेकर दिल्ली तक कई मीटिंगें हो चुकी हैं और इस पर कोई कुछ कहने को भी तैयार नहीं है। हालांकि इन सभी बैठकों से बेफिक्र सीएम योगी आदित्यनाथ विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, जिसके तहत 10 सीटों पर वोटिंग होनी है। उन्होंने मंत्रियों को एक-एक सीट की जिम्मेदारी मंत्रियों को सौंपी है और बीते दिनों लखनऊ में एक मीटिंग बुलाकर सभी को काम भी बता दिया।

कयासों के बीच भी योगी आदित्यनाथ की अति सक्रियता देखकर कुछ लोग हैरान भी हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसकी ठोस वजह मानते हैं। यूपी की राजनीति के जानकारों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ इसलिए सक्रिय हैं क्योंकि इन 10 सीटों के नतीजों को उनके रिपोर्ट कार्ड के तौर पर देखा जाएगा। लोकसभा चुनाव में योगी खेमा यह कहता रहा है कि टिकटों का बंटवारा उनकी सलाह पर नहीं हुआ था और तमाम सांसद रिपीट हुए थे, जिनसे जनता नाराज थी। ऐसे में उसका खामियाजा भुगतना पड़ गया। इसके अलावा योगी समर्थक लोकसभा चुनाव में मतदान को उनके लिए जनादेश नहीं मानते हैं।

आंतरिक लड़ाई में फिलहाल क्यों नहीं उलझ रहे योगी आदित्यनाथ

यह तर्क उपचुनाव में काम नहीं करेगा। 10 सीटों के नतीजे सीधे तौर पर योगी सरकार के कामकाज के आधार पर लोगों के रुख को बताएंगे। ऐसे में योगी आदित्यनाथ कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। खासतौर पर अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के अलावा गाजियाबाद, कुंदरकी, खैर जैसी 10 सीटों पर चुनाव होना है। योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इन सीटों पर विजय के साथ ही वह फिर से पुराने फॉर्म में लौट आएं। ऐसा हुआ तो केशव प्रसाद मौर्य समेत उनके विपरीत चलने वाले खेमे के स्वर थोड़े नरम हो जाएंगे। यही वजह है कि फिलहाल योगी आदित्यनाथ अपना वक्त आंतरिक टकराव नहीं गंवाना चाहते। इसकी बजाय वह उपचुनाव की तैयारियों में ही जुट गए हैं। 

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