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उत्तरकाशी के बटर फेस्टिवल में 200 लोग ही हो सकेंगे शरीक, हाईकोर्ट ने तय की सीमा, क्या कहा?

नैनीताल । उत्तरकाशी के ऐतिहासिक बटर फेस्टिवल में 200 से अधिक लोग शामिल नहीं हो पाएंगे। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रकृति और पर्यावरण का हवाला दे...


नैनीताल । उत्तरकाशी के ऐतिहासिक बटर फेस्टिवल में 200 से अधिक लोग शामिल नहीं हो पाएंगे। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रकृति और पर्यावरण का हवाला देते हुए ज्यादा लोगों के शामिल होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। उत्तरकाशी के दायरा पर्यटन उत्सव समिति की ओर से अदालत में एक प्रार्थना पत्र देकर दायरा बुग्याल में आयोजित होने वाले बटर फेस्टिवल के लिए लगभग 1500 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने इस प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया है।

यूनिवार्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रार्थना पत्र पर मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ में लंबी सुनवाई हुई। अदालत ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। आवेदक समिति की ओर से कहा गया कि यह त्योहार भाद्रपद की संक्राति को हर साल मनाया जाता है। उत्तरकाशी के रैथल के ग्रामीण बीते नौ दशक से दायरा बुग्याल में बटर फेस्टिवल मनाते आ रहे हैं।

समिति ने बताया कि इस साल 15 और 16 अगस्त को यह फेस्टिवल मनाया जाना है। इसमें स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश के पर्यटक शामिल होते हैं। गांव के लोग इस मौके पर भगवान कृष्ण और अपने स्थानीय समेश्वर देवता की पूजा करते हैं। इसमें गाय के दूध से बने उत्पादों की होली खेली जाती है। लोग रंगों की बजाए पिचकारियों से दूध उत्पादों की होली खेलते हैं। लोगों का मानना है कि भगवान समेश्वर इन दिनों मखमली बुग्याल में प्रवास करते हैं।

आवेदकों की ओर से कहा गया कि उत्तरकाशी केडीएफओ की ओर से इस त्योहार के लिये 200 से अधिक लोगों की अनुमति नहीं दी जा रही है। समिति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। समिति की ओर से बाकायदा हलफनामा देकर दायरा बुग्याल की स्वच्छता की गारंटी भी दी गई थी। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता निरंजन भट्ट ने विरोध करते हुए कहा कि यह स्थानीय त्योहार है। इन दिनों दायरा बुग्याल में विभिन्न फूल और औषधीय पौधे जन्म ले रहे हैं। यहां विभिन्न प्रकार के वन्य जीव रहते हैं। बारिश का मौसम वन्य जीवों के लिए प्रजनन का समय होता है।

अधिवक्ता ने कहा कि अधिक लोगों की अनुमति देने से यहां की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचने की आशंका है। अदालत के समक्ष स्थानीय छायाकार जगमोहन के फोटाग्राफ भी पेश किए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत कहा कि उच्च न्यायालय ने 21 अगस्त, 2018 को हिमालय, बुग्यालों, झीलों, नदियों और वन्य जीवों को बचाने के लिए विस्तृत आदेश दिया है। प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इससे समझौता नहीं किया जा सकता है। ऐसे में 200 से अधिक लोगों के शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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