नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को दुनिया की स्थिरता, सातत्य, भरोसे और पारदर्शिता का मजबूत आधार बताते हुए जर्मनी के उ...
नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने भारत
को दुनिया की स्थिरता, सातत्य, भरोसे और पारदर्शिता का मजबूत आधार बताते
हुए जर्मनी के उद्योग जगत का भारतीय प्रतिभा एवं नवान्वेषण को अपनाने और
विश्व के बेहतर भविष्य के लिए योगदान सुनिश्चित करने का आह्वान किया। श्री
मोदी ने यहां जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ और वाइस चांसलर डॉक्टर
रॉबर्ट हाबेक की मौजूदगी में एशिया-पैसिफ़िक कांफ्रेंस ऑफ़ जर्मन बिज़नेस
को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने हर कदम, हर मोर्चे पर भारत और
जर्मनी की दोस्ती के गहरे होने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “ये साल,
भारत-जर्मनी रणनीतिक साझीदारी का 25वाँ वर्ष है। अब आने वाले 25 वर्ष, इस
साझीदारी को नई बुलंदी देने वाले हैं। हमने आने वाले 25 वर्षों में विकसित
भारत का एक रोडमैप बनाया है। मुझे खुशी है कि ऐसे महत्वपूर्ण समय में जर्मन
कैबिनेट ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया है। विश्व की दो सशक्त
लोकतंत्र, विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं, साथ मिलकर कैसे विश्व कल्याण
की शक्ति बन सकती हैं, फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट में उसका ब्लू प्रिंट है।
इसमें रणनीतिक साझीदारी को समग्रता से आगे बढ़ाने की कार्यशैली और
प्रतिबद्धता साफ़ दिखती है। खासतौर पर भारत की कुशल श्रमशक्ति पर जर्मनी ने
जो भरोसा जताया है, वो अद्भुत है।”
श्री मोदी ने कहा, “जर्मनी ने कुशल भारतीयों के लिए हर वर्ष मिलने वाले
वीज़ा की संख्या, 20 हज़ार से बढ़ाकर 90 हज़ार करने का फैसला किया है। मुझे
विश्वास है कि इससे जर्मनी की तरक्की को नई गति मिलेगी।” उन्होंने कहा कि हमारा आपसी व्यापार 30 अरब डॉलर से अधिक के स्तर पर पहुँच
चुका है। आज एक तरफ सैकड़ों जर्मन कम्पनियां भारत में हैं, तो वहीं भारतीय
कंपनियां भी तेजी से जर्मनी में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही हैं। आज भारत
विविधता और जोखिम मुक्त सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। भारत वैश्विक
कारोबार एवं विनिर्माण का भी हब बन रहा है। ऐसे में आपके लिए मेक इन
इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड का, ये सबसे उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ और एशिया प्रशांत क्षेत्र के बीच संबंध मजबूत
करने में एशिया प्रशांत सम्मेलन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन वह इस
मंच को सिर्फ कारोबार और निवेश के सीमित दायरे में ही नहीं देखते हैं।
बल्कि वह इसे हिन्द प्रशांत क्षेत्र और विश्व के बेहतर भविष्य की साझीदारी
के रूप में देखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “दुनिया को स्थिरता और सातत्य की ज़रूरत है, भरोसे और
पारदर्शिता की ज़रूरत है। चाहे समाज हो या फिर आपूर्ति श्रृंखला, हर
मोर्चे पर इन मूल्यों को बल देने की ज़रूरत है। इनके बिना कोई भी देश, कोई
भी क्षेत्र, अपने बेहतर भविष्य की कल्पना नहीं कर सकता। हिन्द प्रशांत
क्षेत्र तो दुनिया के भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है। वैश्विक वृद्धि हो,
जनसंख्या हो या कौशल हो, इस क्षेत्र का योगदान और क्षमता, दोनों बहुत
व्यापक है। इसीलिए इस सम्मेलन का महत्व और भी बढ़ जाता है।”
उन्होंने
कहा कि भारत की जनता, एक स्थिर राजनीतिक प्रणाली और विश्वसनीय
नीतियों के इकोसिस्टम को बहुत महत्व देती है। यही वजह है कि 60 साल बाद एक
सरकार को लगातार तीसरा कार्यकाल मिला है। भारत की जनता का ये भरोसा, बीते
एक दशक में सुधार, प्रदर्शन और बदलाव लाने वाली शासन व्यवस्था के कारण
मज़बूत हुआ है। जब देश का सामान्य नागरिक ये सोच रहा है, तब आप जैसे बिजनेस
के लिए, आप जैसे निवेशकों के लिए भारत से बेहतर स्थान क्या हो सकता है।
श्री मोदी ने कहा कि आज भारत, लोकतंत्र, आबादी, मांग और डेटा, ये चार
मज़बूत स्तंभों पर खड़ा है। प्रतिभा, तकनीकी, नवान्वेषण और बुनियादी ढांचा,
भारत की प्रगति के औजार हैं। इन सभी को आगे ले जाने वाली एक और बड़ी ताकत
आज भारत में है। ये ताकत है- आकांक्षी भारत की। यानि एआई आर्टिफीशियल
इंटेलीजेंस और एआई एस्पीरेशनल इंडिया (आकांक्षी भारत) की दोहरी ताकत भारत
के पास है। और आकांक्षी भारत को हमारा युवा वर्ग आगे ले जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बीती सदी में प्रगति को मुख्यत: प्राकृतिक संसाधनों ने गति
दी थी। 21वीं सदी को मानव संसाधन एवं मानव नवान्वेषण, गति देने वाले हैं।
इसलिए भारत अपने युवाओं के कौशल एवं प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण पर बहुत
फोकस कर रहा है। भारत, भविष्य की दुनिया की ज़रूरतों के लिए आज काम कर रहा
है। हमारा मिशन मिशन एआई हो, हमारा सेमीकंडक्टर मिशन हो, मिशन क्वांटम हो,
मिशन ग्रीन हाइड्रोजन हो, अंतरिक्ष तकनीक से जुड़े मिशन हों, डिजिटल इंडिया
का मिशन हो, इन सभी का लक्ष्य दुनिया के लिए बेहतरीन और विश्वसनीय समाधान
देना है। आप सभी साथियों के लिए इन क्षेत्रों में निवेश और कारोबारी गठबंधन
की अनेक संभावनाएं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर इनोवेशन को, एक शानदार प्लेटफॉर्म और
बेहतरीन बुनियादी ढांचा देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा डिजिटल पब्लिक
इंफ्रास्ट्रक्चर, नए स्टार्टअप्स और इंडस्ट्री 4.0 के लिए अनंत संभावनाओं
के द्वार खोल रहा है। आज भारत अपने फिज़िकल इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से
ट्रांसफॉर्म करने में जुटा है। रेल, रोड, हवाई अड्डों और बंदरगाहों में
रिकॉर्ड निवेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसमें जर्मन और हिन्द प्रशांत क्षेत्र की कंपनियों के लिए अनेक संभावनाएं हैं। यह खुशी की बात है कि नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर भारत और जर्मनी मिलकर काम कर रहे हैं। पिछले महीने ही गुजरात में जर्मनी के साथ मिलकर, चौथा वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश सम्मेलन आयोजित किया गया है। वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश के लिए भारत-जर्मनी प्लेटफार्म भी लॉन्च किया गया है। उम्मीद है कि ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की जो संभावनाएं भारत ने बनाई हैं, उसका फायदा भी जर्मन उद्योगपति ज़रूर उठाएंगे। श्री मोदी ने कहा, "भारत की विकास यात्रा से जुड़ने का यही समय है, सही समय है। जब भारत का डायनमिज्म और जर्मनी का प्रिसिशन मिलता है, जब जर्मनी की इंजीनियरिंग और भारत का इनोवेशन मिलता है, जब जर्मनी की टेक्नॉलॉजी और भारत का टैलेंट मिलता है, तब हिन्द प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया का बेहतर भविष्य तय होता है।" प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “. भारत आना सिर्फ व्यापार ही नहीं होता, भारत की संस्कृति, खानपान और शॉपिंग को आपने समय नहीं दिया, तो आप बहुत कुछ गंवा देंगे।”
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