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ग्रामीणों को जान बचाने की ट्रेनिंग देंगे आयुष आरोग्य मंदिर के डॉक्टर

   रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में किसी की हृदय गति रुकने पर ग्रामीण जान बचा सकेंगे। आयुष विभाग की ओर से इसके लिए ग्रामीणों को...

 

 रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में किसी की हृदय गति रुकने पर ग्रामीण जान बचा सकेंगे। आयुष विभाग की ओर से इसके लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है। आयुष विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हृदय गति रुकने पर पांच मिनट का सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिसेसिटेशन) व्यक्ति की जान बचा सकता है। प्रदेशभर में चार सौ आयुष्मान आरोग्य मंदिर चल रहे हैं। यहां के डॉक्टरों और कर्मचारियों को पहले सीपीआर देने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये प्रशिक्षण लेने के बाद ग्रामीणों को प्रशिक्षित करेंगे, जिससे अचानक किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आने की स्थिति में उसकी जान बचाई जा सकेगी। डॉक्टराें का कहना है कि सीपीआर हार्ट अटैक में दिया जाने वाला एक इमरजेंसी इलाज है। यह व्यक्ति को तब दिया जाता है, जब दिल की धड़कन अचानक रुक जाती है। सीपीआर के अलावा ग्रामीणों को सांप या बिच्छू के काटने, पानी में डूबने, सड़क हादसा होने आदि के दौरान प्राथमिक इलाज का ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। आयुष विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ग्रामीणों के प्रशिक्षित होने से लोगों की जान बचाने में सहायता मिलेगी। सजगता से जीवन बचाया जा सकता है। जब तक पीड़ित व्यक्ति को प्राथमिक इलाज के लिए अस्पताल लाया जाता है, तब तक का समय उसकी जान बचाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर के डॉक्टरों का प्रशिक्षण साेमवार से शुरू होगा, जो बुधवार तक चलेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निमोरा के ठाकुर प्यारेलाल इंस्टीट्यूट आफ पंचायत एंड रूरल डेवलपमेंट में किया गया है। प्रशिक्षण लेने के बाद ये डॉक्टर्स ग्रामीणों को फर्स्ट ऐड के बारे में सिखाएंगे।अगर किसी हादसे के दौरान किसी व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर देना चाहिए। इससे व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। दरअसल, सांस रुकने पर शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती है। इसकी वजह से कोशिकाएं मरने लगती हैं। सबसे ज्यादा और सबसे जल्दी नुकसान मस्तिष्क की कोशिकाओं को होता है, जो कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं। इससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि अगर अधिक से अधिक लोगों को सीपीआर देना सिखा दिआ जाए, तो कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

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