समान कार्य स्वरूप की संस्थाएंमिलकर करें कार्य सायबर सुरक्षा का जिम्मा इलेक्ट्रानिक विकास निगम को देंगे मुख्यमंत्री ने विज्ञान और प्रौद्यो...
समान कार्य स्वरूप की संस्थाएंमिलकर करें कार्य
सायबर सुरक्षा का जिम्मा इलेक्ट्रानिक विकास निगम को देंगे
मुख्यमंत्री ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के कार्यों की समीक्षा की
भोपाल
: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि शासकीय विभाग जन-कल्याण के लिए
ड्रोन तकनीक के अधिक उपयोग के लिए प्रयास बढ़ाएं। अवैध वृक्ष कटाई, अवैध
खनिज उत्खनन, सघन बस्तियों में पुलिस पेट्रोलिंग में ड्रोन टेक्नोलॉजी का
उपयोग बढ़ाया जाए। वन क्षेत्रों में शिकार की घटनाएं भी ड्रोन तकनीक से
ज्ञात कर अपराधियों को दंडित करने में उपयोग किया जाए। मैपकास्ट के
साथक्रिस्प और इस तरह की अन्य संस्थाएं समान स्वरूप की गतिविधियों का
संयुक्त रूप से समन्वय पूर्वक संचालन करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार
को मंत्रालय कक्ष में हुई बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की
गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विज्ञान और
प्रौद्योगिकी विभाग के महत्वपूर्ण कार्यों और संचालित प्रकल्पों से संबंधित
निर्देश दिए।
पीपीपी मोड पर बनें आईटी पार्क
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में पीपीपी मोड से आईटी पार्क बनाए जाएं।
इंदौर, उज्जैन और रीवा में इन संभावनाओं को साकार किया जाए। सभी आईटी
प्रोजेक्ट्स के कार्यों की समय- सीमा तय कर कार्य करें। मुख्यमंत्री
डॉ.यादव ने नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रों, फसलों की रक्षा और पर्यावरण की
सुरक्षा के लिए नवीन टेक्नोलॉजी का प्रभावी उपयोग करने पर जोर दिया।
आईआईटी इंदौर से जुड़े डोंगला वेधशाला
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने उज्जैन जिले की डोंगला वेधशाला को आईआईटी इंदौर के साथ कनेक्ट
कर रिसर्च एवं डेवलपमेंट पाठ्यक्रम विकसित करने की दिशा में कार्य करने के
निर्देश दिए। उन्होंने उज्जैन प्लेनेटोरियम में टॉपर विद्यार्थियों का
प्राथमिकता के आधार पर भ्रमण प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। शोधकर्ताओं
के लिए वेधशाला की रिमोटली ऑपरेटेड सुविधा नई शिक्षा नीति के अनुरूप भी है।
विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान का अध्ययन करवाने पर करें फोकस
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में
अध्ययन और अनुसंधान के लिए प्रेरित किया जाए। स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी
वेधशालाओं का भ्रमण कर ज्ञान स्तर बढ़ाएं। प्रदेश में अंतरिक्ष विज्ञान से
संबंधित अतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर युवाओं को जोड़ा जाए। इन
क्षेत्र में पीएच.डी. के लिए भी छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन किया जाए।
विद्यार्थियों को वर्तमान दौर से जोड़ने के लिए उनके बौद्धिक स्तर को बढ़ाना
आवश्यक है। नव -वैज्ञानिक संवाद सत्र आयोजित किए जाएं। बैठक में बताया गया
कि इस वर्ष उज्जैन तारामंडल में 8 करोड़ की लागत से अपग्रेडेशन के कार्य हुए
हैं। यहाँ थ्रीडी 4K प्रोजेक्शन सिस्टम लोकार्पित होने के बाद 400 से अधिक
शो सम्पन्न हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या में स्कूल- कॉलेज के विद्यार्थी
रूचि लेकर पहुंच रहे हैं।
उज्जैन विश्व समय मानक का केंद्र बने
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि ग्रीनविच टाइम्स को जिस तरह की मान्यता प्राप्त है, उस
तरह उज्जैन के भौगोलिक महत्व और श्री जनार्दन नेगी जैसे वैज्ञानिकों के
अनुसंधान के प्रकाश में विश्व स्तर पर उज्जैन को विशेष केंद्र के रूप में
पहचान मिलना चाहिए। यहां दुनिया में अपनी तरह की प्रथम वैदिक घड़ी भी
स्थापित की गई है। प्राचीन आचार्यों ने भी भौगोलिक गणना के अनुसार उज्जैन
को शून्य रेखांश पर स्थित माना है। विश्व समय मानक ग्रीनविच से परिवर्तित
होकर उज्जैन हो जाए, इस दिशा में बहुआयामी प्रयास होना चाहिए।
शासकीय विभागों और सिंहस्थ-2028 के लिए एमपीएसईडीसी को देंगे जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने सभी विभागों में
मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम लिमिटेड (एमपीएसईडीसी) के माध्यम
से साइबर सुरक्षा के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ-2028 के लिए भी नगरीय प्रशासन
विभाग के आईटी प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी एमपीएसईडीसी को दी जाएगी। इसके
लिए मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम लिमिटेड (एमपीएसईडीसी)
द्वारा अभी से प्लान बनाकर कार्य किया जाए।
इंजीनियरिंग कॉलेजों का उच्च शिक्षा से हो समन्वय
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग सक्षम बने एवं विभिन्न
प्रोजेक्ट की साइबर सुरक्षा के लिए भी कार्य करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश
के 6 पुराने शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों को आईआईटी की तर्ज पर
विकसित किया जाए। आवश्यकता अनुसार इंडस्ट्री की मदद कॉलेज को विकसित करने
में ली जाए। प्रदेश में आ रहे नए उद्योगों में कौशल प्राप्त श्रमिक कार्य
के लिए उपलब्ध हों, इस दिशा में भी प्रयास बढ़ाए जाएं। उन्होंने स्टेट डाटा
सेंटर के लिए आवश्यकता के अनुरूप कार्य करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने निर्देशित किया कि उद्योगों के लिए सभी विभागों का इंटीग्रेटेड
सिंगल विंडो सिस्टम डेवलप किया जाए। सभी शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज को आईटी
डिपार्टमेंट से समन्वय स्थापित कर विकसित किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव
ने उच्च शिक्षा विभाग और क्रिस्प एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को
आपस में समन्वय कर ग्रामीण प्रौद्योगिकी के लिए कार्य करने के लिए
निर्देशित किया।
बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने पीपीपी मोड
पर प्रदेश में आईटी पार्क विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने ड्रोन
टेक्नोलॉजी के व्यापक उपयोग की जरूरत बताते हुए कहा कि आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस, डाटा एनालिटिक्स जैसी नवीन तकनीक का समावेश किया जाए। पुलिस
विभाग में विभिन्न स्थानों का डाटा को इंटीग्रेटेड कर हीट मैप डेवलप करें,
जिससे अपराध का विशलेषण किया जाए अपराधों में कमी लाई जा सके। मुख्य सचिव
ने पीएम गति शक्ति पोर्टल का प्रभावी उपयोग करने पर भी जोर दिया। अपर मुख्य
सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग श्री संजय दुबे ने विभागीय कार्यों
की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ड्रोन टेक्नोलॉजी का विभिन्न
विभागों में उपयोग हो रहा है। प्रदेश में राजस्व, वन, नगरीय प्रशासन, रेरा,
कृषि और उद्योग विभागों में ड्रोन टेक्नोलॉजी तकनीक विकसित करने के
प्रोजेक्ट्स प्रारंभ किए गए हैं। उन्होंने साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट्स की
भी जानकारी दी।
प्रदेश में आने वाले वर्ष की महत्वपूर्ण गतिविधियां
मध्यप्रदेश
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक श्री अनिल कोठारी ने परिषद
द्वारा किए जा रहे कार्यों, भविष्य की योजनाओं, प्रस्तावित गतिविधियों पर
विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। दिसम्बर माह में वराह मिहिर खगोलीय वेधशाला
डोंगला के ऑटोमेशन के सम्पन्न कार्यों का शुभारंभ किया जाएगा। उन्होंने
बताया कि भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी द्वारा राष्ट्रीय बाल
विज्ञान कांग्रेस का भोपाल में 3 से 6 जनवरी 2025 तक आयोजन किया जाएगा,
जिसमें देश के 1200 विद्यार्थी, विषय विशेषज्ञ और वैज्ञानिक आदि शामिल
होंगे। मध्यप्रदेश कारीगर विज्ञान सम्मेलन फरवरी 2025 में प्रस्तावित है।
इसी तरह 19 से 21 मार्च तक विक्रम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान
उत्सव और 40 वाँ युवा वैज्ञानिक सम्मेलन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में
युवाओं की भागीदारी रहेगी। बैठक में बताया गया कि डॉ. वी. एस. वाकणकर
लुमनेसन्स डेटिंग लेबोरेटरी में गैलरी विकसित की जा रही है, जो डॉ. वाकणकर
के योगदान को दर्शाएगी। भू-पुरातत्वीय काल गणनाओं के लिए आधुनिक प्रयोग
शाला के रूप में यह लेबोरेटरी पहचान बनाएगी। इस क्षेत्र में 10 लाख वर्ष तक
की भू-पुरातत्वीय घटनाओं के काल निर्धारण में मदद मिलेगी। वर्तमान में
पूर्व में प्रचलित पद्धतियों से दो लाख वर्ष तक पुरानी घटनाओं और नमूनों का
काल निर्धारण होता है।
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