मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति-2020 के अक्षरश: पालन के दिए निर्देश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा परिणाम समय पर ...
मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति-2020 के अक्षरश: पालन के दिए निर्देश
माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा परिणाम समय पर घोषित हो
प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में आधारभूत संरचनाओं की उपलब्धता करें सुनिश्चित
भोपाल
: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हर बच्चे की शिक्षा, चिकित्सा
और पोषण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रदेश के हर विद्यालय में बुनियादी
सुविधाएं उपलब्ध रहें, यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में
स्कूली शिक्षा की बेहतरी के लिए हमने विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 3000
करोड़ रुपए अधिक बजट का प्रावधान किया। हम अपनी शिक्षा व्यवस्था में सभी
जरूरी सुधार लाने की दिशा में और अधिक मजबूती से आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री
डॉ. यादव समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा
बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए
कि ग्रीष्मकाल में प्रत्येक शासकीय विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए
बिजली, पंखा, स्वच्छ व शीतल पेयजल और छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय
की व्यवस्थाएं की जाएं। कोई भी शाला जर्जर हालत में न रहे। सभी
विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए एक अच्छा माहौल और प्रोत्साहन देने वाला
परिवेश उपलब्ध करायें, ताकि बच्चे खुशी-खुशी विद्यालय पहुंचे। विभागीय
अधिकारी कन्या छात्रावास में महिला अधिकारी की नियुक्ति, स्कूलों में
मध्यान्ह भोजन के प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दें।
मुख्यमंत्री डॉ.
यादव ने कहा कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था नई जरूरतों के मुताबिक सुधार
लाने के लिए सांदीपनी विद्यालय (सीएम राइज स्कूल) जैसे क्रांतिकारी नवाचार
किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सांदीपनि विद्यालय देश में एक आदर्श विद्यालय
(मॉडल स्कूल) बनकर उभरें, इसके लिए सभी जरूरी तैयारियां और प्रयास किए
जाएं। उन्होंने अधिकारियों को शिक्षा नीति-2020 के अक्षरश: पालन करने के
निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में लागू नई शिक्षा नीति के
मॉडल का अध्ययन कर कार्य योजना तैयार की जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव
ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए
हमारी सरकार स्कूलों में आधारभूत संरचनाओं व सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए
प्रतिबद्ध होकर प्रयासरत है। उन्होंने जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत कार्य
में स्थानीय पूर्व सांसद और पूर्व विधायक, समाजसेवी संस्थाओं, पूर्व
छात्रों एवं सीएसआर फंड से भी सहयोग लेने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि
स्कूलों में आर्थिक या व्यवस्थागत सुधार में मदद करने वालों का सरकार
सम्मान करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों को विधानसभा वार जर्जर
स्कूल भवनों की जानकारी एकत्रित करने का निर्देश दिया, ताकि विद्यालयों के
अधोसंरचना विकास कार्यों में विधायक निधि से भी सहयोग लिया जा सके।
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने निर्देशित किया कि मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं
और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के वार्षिक परिणाम समय पर घोषित किए जायें। बताया
गया कि माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा इस वर्ष आगामी मई माह के प्रथम सप्ताह
में ही रिजल्ट घोषित करने की तैयारी की जा रही है।
नैतिक शिक्षा देने पर जोर
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने प्राथमिक स्कूल स्तर से ही बच्चों को आदर्श पारिवारिक मूल्यों
की नैतिक शिक्षा देने के लिए उचित प्रबंध करने पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विद्या भारती, गायत्री
परिवार और आर्ट ऑफ लिविंग जैसी संस्थाओं को प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों
से जोड़ा जाए। बाल्यकाल में प्राथमिक कक्षा से ही विद्यार्थियों में
संस्कारों के विकास का क्रम जारी रहना चाहिए।
समिति बनाने के निर्देश
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए सुझावों का सरकार स्वागत
करेगी। मिले सुझावों पर विचार-विमर्श के लिए विशेषज्ञों के साथ शीघ्र ही एक
बैठक आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वित्त विभाग, स्कूल
शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, रोजगारपरक
व्यावसायिक शिक्षा (कौशल विकास), जनजातीय कार्य, महिला एवं बाल विकास विभाग
के मंत्रीगण की एक समिति बनाकर संयुक्त बैठक आयोजित करने और शैक्षिक सुधार
की कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव
ने कहा कि शासकीय विद्यालयों में भोजन की उपलब्धता और गुणवत्ता का विशेष
ध्यान रखा जाए। साथ ही बोर्ड परीक्षा में शत-प्रतिशत रिजल्ट देने वाली
स्कूलों को अपग्रेड किया जाए। बैठक में बताया गया कि प्रदेश की प्रत्येक
विधानसभा में एक सांदीपनी विद्यालय (सीएम राइज) संचालित किया जा रहा है। इन
स्कूलों के नवीन भवनों के निर्माण कार्य भी प्रगति पर हैं। मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि सांदीपनी विद्यालय देश में ऐसे आदर्श विद्यालय बनाने
हैं, जहां पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को खेल-कूद, कला-संस्कृति एवं छात्रों
के समग्र विकास का प्रशिक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में
सांदीपनी विद्यालयों में 145 बसें संचालित की जा रही हैं। बस संचालन में
सभी नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए और ड्रायवर-कंडक्टर के व्यवहार पर
विशेष निगरानी रखी जाए। स्कूल शिक्षा विभाग और जनजाति विभाग की अंतर्गत
प्रदेश में 369 संदीपनी विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। बताया गया कि
स्कूल शिक्षा विभाग की 275 और जनजातीय कार्य विभाग के 94 सांदीपनी विद्यालय
शामिल हैं। 8 संदीपनी विद्यालयों भवनों का लोकार्पण हो चुका है और 10 भवन
बनकर लोकार्पण के लिए तैयार हैं। जून 2025 तक 34 नए सांदीपनी विद्यालय
भवनों का निर्माण पूर्ण हो जायेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव को स्कूल
शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की भर्ती और अतिशेष शिक्षकों की नियुक्ति
संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
शिक्षकों की स्थानांतरण प्रक्रिया में पूर्ण रूप से प्रदर्शित बरती जाए।
लापरवाही करने वाले जिला शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
उन्होंने उज्जैन में शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक का रिक्त पद शीघ्र
भरने के निर्देश दिये। प्रदेश में 1 अप्रैल से स्कूल खुल चुके हैं और
एडमिशन पोर्टल पर अबतक 15 लाख से अधिक विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन हुआ
है। पहली कक्षा में बच्चों का प्रवेश घटने पर स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय
प्रताप सिंह ने कहा कि शासकीय स्कूलों में नर्सरी कक्षा भी शुरू करने की
आवश्यकता है, क्योंकि एक बार कोई बच्चा प्राइवेट नर्सरी स्कूल में दाखिला
ले लेता है, तो फिर उसका शासकीय स्कूल में लौटना मुश्किल हो जाता है।
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने स्कूलों में भारत स्काउट गाइड, एनसीसी सहित विभिन्न योजनाओं
की जानकारी ली और मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप तथा स्कूटी वितरण की
समीक्षा की।
बैठक में अधिकारियों ने बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर
प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए बताया कि वर्ष-2025 की
बोर्ड परीक्षा में 266 संवेदनशील केंद्रों पर जैमर लगाकर मोबाइल के माध्यम
से नकेल कसी गई। नकल और पेपर लीक जैसी घटनाएं रोकने के लिए परीक्षा
केंद्रों पर पहले से ज्यादा सतर्कता बरती गई, इसमें परीक्षा केंद्र पर पेपर
बॉक्स खोलने की वीडियोग्राफी, उत्तर पुस्तिकाओं की बार कोडिंग मार्किंग
सहित कई नवाचार शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि एनईपी के अंतर्गत साल
में दो बार परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिससे असफल विद्यार्थियों को दोबारा
परीक्षा देने का मौका मिलेगा और उनके रिजल्ट में सुधार आएगा, साथ ही उनका
साल भी खराब होने से बचेगा।
बैठक में अपर मुख्य सचिव एवं माध्यमिक
शिक्षा मंडल की अध्यक्ष श्रीमती स्मिता भारद्वाज, प्रमुख सचिव वित्त श्री
मनीष रस्तोगी, सचिव स्कूल शिक्षा डॉ संजय गोयल, आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती
शिल्पा गुप्ता सहित स्कूल शिक्षा विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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